भारत का एक गाँव जहां पक्षी आत्महत्या करते हैं(A village in India where birds commit suicide)
पिछले 100 वर्षों में, हजारों पक्षियों ने भारत के जटिंगा में जमीन की एक छोटी सी पट्टी पर अपनी मौत के लिए उड़ान भरी है।
केवल 2,500 लोगों के शहर में, हर साल सितंबर और अक्टूबर महीने मे अंधेरी चांदनी रातो में जटिंगा पक्षि अचानक अपना संतुलन खो देते हैं और धरती पर गिर कर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं
केसे व कब मरते हैं-
सितंबर-अक्टूबर महीने के बिच में करते हैं ऐसा करने वाली पक्षियों की कुल 44 प्रजातियां हैं जो रात के 6-10 pm के बीच अचानक परेशान हो जाते हैं । अजिबो-गरीब हरकते करते हुए इधर-उधर उड़ने लगते हैं और आपस में टकराते हुए सेकंडों की संख्या में निचे गिर कर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं
क्या कारण है-
हर साल इस क्षेत्र के 1500 से 2000 मीटर के क्षेत्रफल में पक्षी अपनी मौत के लिए उड़ान भरते रहते हैं। कई सिद्धांतों को बताया गया है, एक सुझाव है कि उच्च ऊंचाई, उच्च हवाओं और कोहरे के कारण जो संजोग बनता है उससे पक्षियों में अस्थीरता आती है और वे गांव की रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं (उजला प्रकाश पक्षियों को भटकाने के लिए जाना जाता है) और अपना संतुलन खो देते हैं
एक अन्य सिद्धांत यह बताता है कि इस क्षेत्र का मौसम "भूमिगत जल के चुंबकीय गुणों में परिवर्तन आ जाता हैं और यह अपना मार्ग भटक जाते हैं"
आपको इस बारे में क्या लगता है हमें comment करके जरूर बताएं
केवल 2,500 लोगों के शहर में, हर साल सितंबर और अक्टूबर महीने मे अंधेरी चांदनी रातो में जटिंगा पक्षि अचानक अपना संतुलन खो देते हैं और धरती पर गिर कर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं
केसे व कब मरते हैं-
सितंबर-अक्टूबर महीने के बिच में करते हैं ऐसा करने वाली पक्षियों की कुल 44 प्रजातियां हैं जो रात के 6-10 pm के बीच अचानक परेशान हो जाते हैं । अजिबो-गरीब हरकते करते हुए इधर-उधर उड़ने लगते हैं और आपस में टकराते हुए सेकंडों की संख्या में निचे गिर कर तड़प-तड़प कर मर जाते हैं
क्या कारण है-
हर साल इस क्षेत्र के 1500 से 2000 मीटर के क्षेत्रफल में पक्षी अपनी मौत के लिए उड़ान भरते रहते हैं। कई सिद्धांतों को बताया गया है, एक सुझाव है कि उच्च ऊंचाई, उच्च हवाओं और कोहरे के कारण जो संजोग बनता है उससे पक्षियों में अस्थीरता आती है और वे गांव की रोशनी की ओर आकर्षित होते हैं (उजला प्रकाश पक्षियों को भटकाने के लिए जाना जाता है) और अपना संतुलन खो देते हैं
एक अन्य सिद्धांत यह बताता है कि इस क्षेत्र का मौसम "भूमिगत जल के चुंबकीय गुणों में परिवर्तन आ जाता हैं और यह अपना मार्ग भटक जाते हैं"
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